एक छोटी सी कहानी से शुरुआत करता हूँ। दो बौद्ध भिक्षु रास्ते से जा रहे थे। उनके गुरु ने उनको सिखाया था कि स्त्रियों से दूर रहना। स्त्रियों का स्पर्श, उनमें ज्यादा आसक्ति और आकर्षण कभी मत रखना। इतने में रास्ते में एक छोटा सा तालाब पड़ा जिसे पार कर दूसरी ओर जाना था। वहाँ किनारे पर एक सुन्दर युवती खड़ी थी। उसने कहा इन भिक्षुओं से कहा कि मुझे डर लग रहा हैं और पार करने का अनुरोध किया।
उनमें से एक बौद्ध भिक्षु ने उसे कंधे पर उठाया और तालाब के उस पार छोड़ दिया। साथ के दूसरे भिक्षु को ये अच्छा नहीं लगा और वह तनाव में आ गया। काफी देर बेचैन रहने के बाद उसने कहा कि हमारे गुरूजी ने स्त्रियों से दूर रहने को कहा था और आपने तो उस स्त्री को कंधे पर बैठा लिया।
इसपर पहले भिक्षु ने मुसकुराते हुए कहा कि मैंने तो उस युवती को कब से कंधे से उतार कर अलग कर दिया और तुम अभी तक उसको दिमाग में बोझ रखे हुए हो। उस युवती को आवश्यकता थी, मैंने मदद की और बात खत्म हो गई। दूसरे भिक्षु को अपनी भूल समझ में आई|
साथियों, हम सब भी यही भूल कर रहे हैं। कितनी सारी चीज़ों को दिमाग में भरे हुए हैं। हमारे साथ किसने गलत व्यवहार किया, ठीक से बात नहीं की, मदद नहीं की जैसे अनुभवों से दिमाग को भर रखा है। जिसको हम गलत मानते हैं, उसको देखते ही नकारात्मक भाव पैदा हो जाते हैं, मन कसैला हो जाता है और दिन खराब हो जाता है फिर भी हम उस अनुभव को भूलते नहीं हैं।
इतना बोझ दिमाग पर रखोगे तो कैसे बड़े बनेंगे। एक गाड़ी में भी ज्यादा सवारी हो तो गाड़ी की स्पीड धीमी हो जाती हैं। एक रॉकेट को भी अन्तरिक्ष में पहुँचने के लिए रास्ते में बोझ हल्का करना पड़ता है।
जीवन में यदि शिखर पर पहुँचना है तो हर दिन बोझ उतारते चलो। हर शाम जब कार्यस्थल से निकलो, उसी दिन वहाँ के मतभेद वही छोड़कर निकलो। यदि किसी से विवाद हो जाये या मनमुटाव हो जाये तो सामने वाले से कहना कि आज हमारे बीच जो भी हुआ, उसमें मेरी जो गल्ती थी, उसके लिए मैं माफी चाहता हूँ। लोड मत लेना।उसकी गलती पर वह माफ़ी मांगता हैं या नहीं, ये उसकी सोच है। आप तो अपना बोझ उतारो और आगे बढ़ो। अगर आपसी रिश्तों में भी लड़ाई हो जाये तो, उस विवाद को अगले दिन तक मत जाने दो, रात होने के पहले सुलह करके खत्म कर दो। यदि विवाद का 24 घंटा कटा तो उसमें बहुत सारी गांठे बन जाएंगी फिर उन गांठो को खोलना बहुत कठिन कार्य हैं।
सब भूलकर, बाँह फैलाकर, गले लगाओ अपने लोगों को और जीवन में आगे बढ़ो। जो जितना छोटी-छोटी चीज का बोझ दिमाग में रखेगा, वो कभी बड़ा नहीं बन पायेगा। बड़ा वही बन सकता हैं जो भीतर से हल्का और खाली होगा। कोई पात्र में पहले से बहुत सारी चीज भरी हो तो उसमें अमृत के लिए भी जगह नहीं बन सकती। कोई अलमारी सामान से ठसाठस भरी हो तो नयी वस्तु कितना भी जरूरी हो, अंदर उसके लिए जगह नहीं रहेगी।
बड़ा बनना हैं तो हर दिन बोझ कम करिए और दिमाग को खाली करिए ताकि उसमें कुछ अच्छे विचारों के लिए जगह बन सके। जिंदगी में वाकई कुछ बनना चाहते हो, जिंदगी का आनंद लूटना चाहते हैं, कुछ उपलब्धि हासिल करना चाहता हो, यदि जिंदगी में खुश रहना चाहते हो तो, सिर्फ एक सरल रास्ता हैं, लोड लेना बंद करिए।
लाखों की कुर्सी की सीट पर अगर एक कील गड़ी हो तो आप बैठने का आनंद नहीं ले सकते, ठीक इसी तरह आपके भीतर कितनी भी प्रतिभा हो, यदि उस पर नकारात्मकता की कील गड़ी हो तो प्रतिभा व्यर्थ हो जाएगी। आज और अभी से हर उस चीज़, घटना या व्यक्ति का लोड लेना बंद करिए जिस पर आपका नियंत्रण नहीं है। किसने क्या कहा, क्यों कहा, आपके साथ ऐसा क्यों किया, ये सब भूलकर आगे बढ़िए। दुनिया में अधिकांश दिक्कतों का उत्तर सफलता है, एक बार आप सफल हो जाएंगे तो सारे समस्या देने वाले लोग आपके साथ मित्रवत हो जाएंगे।
हमारे वी आई पी नामक कार्यक्रम में प्रतिभागियों से कहते हैं कि जो लोग आपके लिए महत्वपूर्ण हैं परंतु किसी कारण से बात बंद है या तनाव है तो अभी यहाँ से फोन लगाओ। पहले वो लोग हिचकते हैं फिर मेरे दबाव में वो फोन लगाकर अपने हिस्से की गलती के लिए माफी मांग लेते हैं। वही पर बहुत से लोगों के आँसू गिरते हैं जब सालों से बिखरा रिश्ता एक पहल करने से संवर जाता है। वो जीवन भर उस पल को भूल नहीं पाते। तो आप भी अभी फोन लगाओ यदि किसी अपने से तनाव हो रखा हो तो आज ही माफी मांगिए और माफ कीजिए। यह करते ही आप हल्के हो जाएंगे। यदि मुंह से नहीं बोल सकते तो एसएमएस या व्हात्सप्प कर दीजिये। यदि अचानक फोन करने का कोई कारण चाहिए तो साथ में लिख दीजिये कि डॉ उज्ज्वल पाटनी का लेख पढ़ा तो लगा कि आगे बढ़कर मैं ही माफी मांग लेता हूँ। कभी हो सकता है कि सामने वाला ऊंची सोच का ना हो और सही रिसपोन्स ना दे तो भी क्या हुआ, आप तो हल्के हो गए। नयी उड़ान के लिए तैयार हो गए। अपनी भावनाओं को दिल में रखने की जगह अभिव्यक्त कीजिए और अपनी उच्चता का प्रमाण दीजिए।
आज ही निर्णय लीजिए कि मैं स्वयं को छोटी छोटी चीजों से प्रभावित नहीं होने दूँगा। याद रखिए माफी मांगना और माफ करना, ये शक्तिशाली लोगों को काम है और हर समय लोड लेकर बैठ जाना हल्के लोगों का।
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