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Writer's pictureDr. Ujjwal Patni

अधिकांश लोगों के औसत या असफल रहने की सबसे बड़ी वजह!

दुनिया में रहने का सबसे ख़तरनाक एड्रेस कौन सा है? यदि आपका भी वही पता है तो आप ये समझिये आपके सपने समाप्त और खास बात यह है कि वो एड्रेस कोलकाता, दिल्ली, मुम्बई से लेकर अमेरिका फ्रांस, रूस में भी है। इस संसार का सबसे खतरनाक एड्रेस है- 'कम्फर्ट ज़ोन कॉलोनी'।


कम्फर्ट जोन में रहने कि वजह से कितने सारे लोग तमाम सुविधाऐं और संसाधन होते हुए भी बड़े नहीं हो पाते हैं। अच्छे स्कूल में जाकर भी औसत रह जाते है और अच्छी बिज़नेस में भी सफल नहीं हो पाते। लोग अच्छा गाते हैं, कविता लिखते हैं, चित्रकारी करते हैं और उम्दा खेलते हैपर वे गायक, लेखक, चित्रकार या अच्छे खिलाड़ी के रूप में शिखर पर नहीं पहुँच पाते हैं।

कम्फर्ट जोन में रहने कि वजह से कितने सारे लोग तमाम सुविधाऐं और संसाधन होते हुए भी बड़े नहीं हो पाते हैं। अच्छे स्कूल में जाकर भी औसत रह जाते है और अच्छी बिज़नेस में भी सफल नहीं हो पाते। लोग अच्छा गाते हैं, कविता लिखते हैं, चित्रकारी करते हैं और उम्दा खेलते हैपर वे गायक, लेखक, चित्रकार या अच्छे खिलाड़ी के रूप में शिखर पर नहीं पहुँच पाते हैं।


इसका सबसे बड़ा कारण है अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर नहीं निकलना। उनको सुबह जितने बजे उठने की आदत है, वे उतने ही बजे उठेंगें, धीरे-धीरे मजे से टीवी देखते हुए खाना खाएँगे, लोगों से गॉसिप् करना है और हर काम को अंतिम वक़्त पर करेंगे। किसी ने थोड़ा भी नहीं बोल दिया तो घर पर बैठ जाएंगे और हर चीज़ का दोष परिस्थिती पर डाल देंगे। वो बाहर निकल के मेहनत नहीं करते, पसीना नहीं बहाते। पृथ्वी का जीता-जागता नर्क है कम्फर्ट ज़ोन क्योंकि इसी की वजह से प्रतिभाशाली लोग भी औसत रह जाते हैं।



एक सच्ची घटना आपको सुनता हूँ। मेरा एक परिचित किसी व्यक्ति से बहुत प्रेरित था। उसको लगता था यदि वह उसके साथ आ जाए तो हम बहुत बड़ा साम्राज्य खड़ा कर सकते हैं। उसने इस संबंध में जितने भी लोगों से चर्चा की, सबने कहा वह पार्टनरशिप हेतु नहीं मानेगा।


यह बात वकल सच निकली क्योंकि सामने वाले ने माना कर दिया लेकिन मेरे परिचित ने हिम्मत नहीं हारी। वह सात बार प्रस्ताव लेकर गया। सामने वाले ने कहा कि आप बार-बार क्यों आ रहे हैं, जब आपको मना कर रहा हूँ। मेरे परिचित ने कहा कि हम दोनों साथ मिलकर काम करेंगे तो कितनी समृद्धि हो सकती है, यह मुझे नजर आ रही है। मैं तब तक आता रहूँगा, जब तक आपको भी वो नजर ना आने लगे या आपकी टक्कर का मुझे कोई और साथी ना मिले। आखिरकार दूसरा व्यक्ति साथ काम करने को तैयार हो गया और महज तीन साल में आज उनहोंने जबर्दस्त तरक्की की।



सोचिए कि यदि अब्राहम लिंकन पहला चुनाव हारकर घर पर बैठ जाते तो क्या वो राष्ट्रपति बनते। महेंद्र सिंह धोनी के पहले कैफ, युवराज सब टीम में सेलेक्ट हो चुके थे लेकिन वो हिम्मत नहीं हारे, अपनी कोशिश जारी रखी। परिणाम हमारे सामने है।अरे! इंसान को जो सबसे बड़ी काबिलियत यह है कि इंसान बाउंस बैक कर सकता है। इंसान और जानवर का सबसे बड़ा फर्क यह है कि जानवर आगे का प्लान, रिसर्च, इनोवेशन नहीं कर सकता है जबकि इंसान निरंतर प्लान, रिसर्च, इनोवेट कर सकता है। इंसान दुनिया के कोने-कोने में ट्रेवल करके नये दोस्त बना सकता है। इंसान के पास गूगल है। कहीं से भी कोई इनफार्मेशन निकाल सकता है। इंसान ईश्वर की बनाया हुआ सबसे अद्भुत और असाधारण प्रोडक्ट है फिर भी तमाम काबिलियत और असीमित क्षमताओं के बाद औसत जिंदगी का चुनाव क्यों कर रहे हैं।


कोंफ़ोर्ट ज़ोन से बाहर आकर अपनी पूरी ताकत तो झोंको। अगर पूरी ताकत लगाने के बाद, असफल भी हो जाओगे तो मलाल नहीं होगा क्योंकि आपको पता है कि आपने अपनी पूरी ताकत लगाई थी। लेकिन बिना पूरी कोशिश किये, असफल हुए तो दुनिया को चाहे कुछ भी बोलो, आपकी अंतरात्मा जानती है कि आपने सब कुछ नहीं झोंका। मैं तो ये भी कहूँगा कि थोड़ी बहुत सफलता पाकर भी कभी कम्फर्ट ज़ोन में मत जाना। आप मुझे इंटरनेशनल स्पीकर, मोटिवेशनल स्पीकर और बिज़नस कोच के रूप में जानते हैं। आप पुस्तकें पढ़ते हैं और यूट्यूब पर उज्ज्वल पाटनी शो देखते हैं। तीन मिलियन से ज्यादा सब्स्क्र्यबर और अनेक देशों में लैक्चर की वजह से लोगों के अनुसार मैं सफल हूँ लेकिन मैं जानता हूँ कि मैंने अपनी क्षमता का कुछ हिस्सा ही उपयोग किया है। कभी-कभी लगता है कि खुद को सज़ा दूँ क्योंकि मैंने अपनी क्षमता का सही उपयोग नहीं किया। इसीलिए अन्य लोग आपकी तारीफ भी कर रहे हो तो फूलिए मत क्योंकि मेरे दोस्त, ये महत्वपूर्ण नहीं है कि आज आप कितने सफल हैं, फर्क़ इस बात से पड़ता है कि आप उतने सफल हुए कि नहीं जितनी आपके भीतर क्षमता थी।


हम सबको अपने अंदर देखना होगा, क्या हम कम्फर्ट ज़ोन में बैठे हैं? क्या आप बाहर निकलने में संकोच करते हैं? क्या आप अपने विचार बांटने से डरते हैं? क्या लोगों के सामने जाकर प्रस्ताव रखने में आपको ईगो होता है? क्या कभी आपको हीन महसूस होता है? क्या कोई आपके आईडिया को डस्टबिन में डाल दे तो आप निराश होकर घर में बैठ जाते हैं? क्या आप सोचते सोचते बहुत सारा टाइम निकाल देते हैं? क्या आप अपने वादों को पूरा नहीं करते। क्या आप पहले से मान लेते हैं कि मेरे साथ अच्छा नहीं होगा।



बचपन में अधिकांश लोग एक खिलौने से खेलते हैं जिसको कितना भी हिट करो, वो वापस उठता था, खड़ा हो जाता है। उसकी काबिलियत थी बाउंस बैक। उसी तरह आप कितनी भी गालियाँ, लात, मुक्के खाइये, डांट सुनिये, असफल होइए या सौ बार गिरिये, इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन गिर के गिरे रह जाना या निराश होकर घर पर बैठ जाना प्रॉब्लम है। हर स्थिति में बाउंस बैक होइए।किसी बादल या अंधेरे की इतनी औकात नहीं हैं कि सूरज को हमेशा के लिए ढक कर अंधेरा कर दे क्योंकि सूरज की एक किरण आएगी, चीर देगी उस अंधेरे को, उस बादल को। उसी तरह हो सकता है कि आज आपके जीवन में तकलीफ़ें और बाधाएँ हो, लेकिन कोई तकलीफ या बाधा चिर स्थायी नहीं है। दुनिया का सबसे खतरनाक एड्रेस, कम्फर्ट ज़ोन कॉलोनी, कम्फर्ट ज़ोन बिल्डिंग से बाहर आइए। जीवन से लड़े बिना यूं ही हार जाना पाप है। पूरी ताकत झोंक दीजिए, किसी बाहर वाले के भरोसे मत बैठिए और उठिए। अपने पीछे आग लगाइए। उठ के खड़े हो जाइए और निकल पड़िये। बैठ के सिर्फ सोचने से कुछ नहीं बदला है आज तक।कम्फर्ट ज़ोन की सबसे बड़ी काट है स्टार्ट नाऊ अर्थात अभी शुरू हो जाइए। जो आपके पास है, आप जहां है और जैसे हैं, वही से यात्रा शुरू कीजिये।


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