एक सफल हस्ती से किसी ने पूछा कि आपके गुरु का नाम क्या है। उन्होंने कहा कि मेरा कोई गुरु नहीं है क्योंकि मैं हर दिन और हल पल सीखता हूँ। वह व्यक्ति नहीं माना और गुरु का नाम जानने की ज़िद करने लगा। उस हस्ती ने समझाया कि सीखने वाले के लिए हर परिस्थिती एक गुरु का कार्य करती है। वह ज़िद पर अड़ा रहा कि आप जरूर मुझे बताना नहीं चाहते। सफल हस्ती ने आखिर हार कर कहा कि मैं तुम्हें कुछ गुरुओं के बारे में बताता हूँ।
मेरा पहला गुरु एक कुत्ता था।
एक बहुत गर्मी वाले दिन मैं नदी के किनारे एक पेड़ की छाया में आराम कर रहा था कि एक कुत्ता दौड़ता हुआ आया। वह भी प्यासा था। उस कुत्ते ने आगे जाकर नदी में झांका तो उसे एक और कुत्ता पानी में नजर आया जो कि उसकी अपनी परछाई थी।
कुत्ता उसे देख बहुत डर गया। वह परछाई को देखकर भौंकता और पीछे हट जाता, लेकिन बहुत प्यास लगने के कारण वह वापस पानी के पास लौट आता।
मेरा दूसरा गुरु एक चोर था।
एक बार मैं देर रात किसी गाँव में पहुंचा। सब दुकाने और घर बंद हो चुके थे। मैं रुकने की जगह तलाश कर रहा था। अचानक मुझे ठक-ठक की आवाज़ सुनाई दी। मैं आवाज़ के पीछे गया तो मैंने देखा की एक आदमी दीवार में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था।
मैंने उससे ठहरने की जगह के बारे में पूछा। उसने कहा कि आधी रात गए इस समय आपको कहीं आसरा मिलना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन आप चाहे तो मेरे साथ ठहर सकते हो। मैं एक चोर हूँ और अगर एक चोर के साथ रहने में आपको कोई परेशानी नहीं होंगी तो आप मेरे साथ रह सकते हैं।
उस भले आदमी के साथ मैं एक महीने तक रहा । वह हर रात मुझे कहता कि मै अपने काम पर जाता हूं, आप आराम से रहना और समय निकालकर मेरी कुशलता की दुआ करना। वह कभी सफल होकर आता और कभी असफल होकर। जब वह असफल होता तो भी मुसकुराते हुए कहता कि आज तो कुछ नहीं मिला पर अगर भगवान ने चाहा तो जल्द ही जरुर कुछ मिलेगा। वह कभी निराश और उदास नहीं होता था, हमेशा मस्त रहता था।
उस दिन के बाद जब भी मैं निराश होता, तब अचानक मुझे उस चोर की याद आती जो रोज कहता था कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही कुछ जरुर मिलेगा। उसने मुझे जीवन का हर हाल में आनंद लेना सिखाया।
मेरा तीसरा गुरु एक स्टूडेंट है ।
एक कॉन्फ्रेंस में वह अपनी कोई रिसर्च प्रस्तुत कर रहा था। एक प्रोफेसर लगातार उसमें चूक निकाल रहे थे। प्रोफेसर ने उसे परेशान करने के लिए मोमबत्ती जलायी और उससे पूछा कि बताओ ये आग और ज्योति कहाँ से आई। यदि तुम ये बता दोगे तो मैं मान लूँगा कि तुम इस रिसर्च के योग्य हो।
स्टूडेंट से रहा नहीं गया और उसने फूँक से मोमबत्ती बुझा दी। अब उसने प्रोफेसर से विनम्रता से निवेदन किया कि आप मुझे यह बता दें कि ये आग और ज्योति कहाँ गई तो मैं ये मान लूँगा कि आप सिखाने के योग्य हैं।
प्रोफेसर को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने स्वीकार किया कि वो सीखने के लिए तैयार नहीं थे। वो लगातार गलतियाँ ढूंढ रहे थे। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि कोई भी-कभी भी और कहीं भी हमें सिखा सकता है। हमें सीखने के लिए लगातार तैयार रहना चाहिए। साथियों, एक प्रेरक वक्ता और बिज़नस कोच के रूप में मैं लाखों लोगों से मिलता हूँ। मैंने ये करीब से देखा है कि जो लोग नया अपनाने को तैयार रहते हैं, वही बड़ी सफलता हासिल करते हैं।
ये तीन कहानियां हमें सिखाती है कि जीवन को बदलने के लिए बड़ी-बड़ी पोथियों की जरूरत नहीं है। हम लोग लगातार यूट्यूब पर उज्ज्वल पाटनी शो जारी करते हैं, फ़ेसबुक और व्हाट्सप्प पर कहानियाँ साझा करते हैं, कितने ही लोग अपना जीवन इनसे ही बदल लेते हैं।
जिसको सीखना नहीं है, उसको दुनिया की सबसे महंगी पुस्तक और सबसे बड़ा प्रेरक भी नहीं जगा सकता। सच तो यह है कि जो सीख नहीं सकता, उसको सिखाने का भी कोई अधिकार नहीं है। हर दिन अपने आप से पूछिये कि आज मैंने क्या सीखा और यदि आपको वह उत्तर मिल जाए तो समझिए कि दिन सार्थक हो गया।
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