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Writer's pictureDr. Ujjwal Patni

किस तरह की असफलता का सम्मान होना चाहिए

असफलता का सम्मान होना चाहिए क्योंकि असफल होने का अर्थ है कि प्रयास किया गया लेकिन किस असफलता का सम्मान होना चाहिए। ये अनूठा लेख आपको बतायेगा कि असफल होने के 5 तरीके होते हैं जिनका सम्मान होना चाहिए और दुनिया के बड़े सफल लोगों का भी यही मानना है।


पूरी योजना बनाने के बाद असफल हो जाना :

यदि आप एक बिज़नस शुरू कर रहे हैं और आपने मार्केट, ग्राहक, प्रोडक्ट, लोकेशन और जरुरत आदि की सही रिसर्च नहीं की। बस आपको लगा बिज़नेस चल जाएगा और आप असफल हो गए, आपकी इस असफलता का सम्मान नहीं हो सकता क्योंकि ये मूर्खता है। यदि यही असफलता, पूरी प्लानिंग, सही टीम, सही रिसर्च और क्लियर विज़न के बाद होती है, तो ये असफलता कितना भी बड़ी क्यों न हो, ये असफलता नहीं है। इसीलिए मूर्खो की तरह असफल मत होईये, योजना बनाने में समय दीजिये।



सभी संभावनाओं पर प्रयास करने के बाद असफल होना:

आपके पास हर समस्या के समाधान के लिए कई विकल्प हो सकते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपने सभी विकल्पों के लिये प्रयास किए। क्या आपने बिना ईगो की परवाह किये सारे दरवाजे खटखटाए? विडम्बना ये है कि हम बिना प्रयास किए ही अनुमान लगा लेते हैं हमें रिजैक्ट कर दिया जाएगा। पोसिबिलिटी थिंकिंग के सिद्धान्त को मैं सालों से लोगों को पढ़ा रहा हूँ और मैंने देखा है कि जो लोग एक के बाद एक, सारी संभावनाओं पर प्रयास करते हैं, अक्सर उनकी हार नहीं होती।भले ही सड़क कितनी भी अच्छी हो लेकिन फिर भी कार में हम स्टेपनी ले कर चलते हैं? ठीक उसी तरह से सबके पास प्लान बी अर्थात दूसरी संभावनाएं होना ही चाहिए। यदि आपने १००% और असफल हुए, तो दुःख नहीं जश्न मनाइये ।बिना संभावना पर काम किये, असफल होना बहाने बाजी है।


समय सीमा और लक्ष्य के साथ काम करके भी असफल हो जाना :

पॉवर थिंकिंग कहती है कि यदि आपने लक्ष्य बनाये, समय सीमा पर काम किया और उनके लिए खुद को झोंका और असफल हुए, और फिर भी आप असफल हुए तो उस असफलता का सम्मान होगा।


औसत लोगों के पास पहले तो लक्ष्य नहीं होते। होते भी हैं तो उनपर समय सीमा का कोई दबाव नहीं होता। क्योंकि हम किसी चीज़ के लिए तारीख तय नहीं करते, इसलिए काम को तत्काल में नहीं करना चाहते बल्कि उसे टालते जाते हैं। जिनके गोल्स में टाइम-लाइन नहीं होती और वो फ़ेल हो जाते है, उन्हें कोई अधिकार नहीं है अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोष देने का। बिना लक्ष्य और समय सीमा के असफल हुए तो शत प्रतिशत आपकी गलती है।


सही सलाह ले कर असफल होना:

समस्या ये है कि हम सलाह इसी लिए नहीं लेते क्योंकि उसके बाद जो आपको मेहनत करनी पड़ेगी वो हम नहीं करना चाहते। हमारे कान वही सुनना चाहते हैं जो वो पसंद करते हैं बाकी सब हमें बकवास लगता है। इसीलिए बच्चे माता पिता कि नहीं सुनते. जरा सी सलाह उनको ज़िन्दगी में दखलंदाजी लगती है। ज्यादा सलाह दे दो तो भावावेश में गलत कदम उठा लेते हैं। महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच सबसे बड़ा फर्क सलाहकार का था, एक के पास शकुनी थे और दुसरे के पास श्रीकृष्णा अच्छे विडियो। अच्छी पुस्तकें, हम जैसे कोच, आपके परिवारजन, इन सबकी सलाह लेकर भी आप असफल हो जाते हैं तो आपको मलाल नहीं होगा। सही व्यक्ति से सलाह लेने के बाद यदि आप असफल होते हैं तो उस सफलता का सम्मान किया जाएगा। सही व्यक्ति से सलाह नहीं ली, खुद को परम ज्ञानी मानकर असफल हो गए तो आपके साथ किसी की सहानभूति नहीं होना चाहिए।



भाग्य, भगवान्, प्रकृति ,सरकार, किसको दोष दें :

आपने कोई योजना बनाई और पूरी ताकत झोंकने, सही सलाह लेने, सारी संभावना पर काम करने के बाद भी असफल हो गए , तो उसमें आपका कोई दोष नहीं। फिर ये मान लेना कि कर्म हमारे नियंत्रण में होता है लेकिन परिणाम नहीं। भाग्य, भगवान, प्रकृति, सरकार जिस पर मर्जी हो दोष डालिए लेकिन ये आपका बहाना नहीं बनना चाहिए। कुछ लोग खुद प्रयास नहीं करते और अपनी सफलता किसी ना किसी कंधे पर डाल देते हैं। ऐसा करके आप जीवन को ख़त्म कर रहे हैं।


मायने ये रखता है कि आप कितनी जल्दी खुद को उस जज़्बे के साथ दोबारा से तैयार करते हैं। जो आपके पास है उसी से शुरुवात करें, आप जहां है वह से शुरुवात करें। डर मिटाने का एक ही रास्ता है, सम्मानजनकअसफलता की तैयारी करें, सफलता खुद चल कर आपके पास आएगी। जब भी असफल होऊंगा, सम्मानजनक तरीके से होऊंगा।


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